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हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसारविवाह मानव जीवन 16 संस्कारों में से सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। विवाह के बाद केवल पति-पत्नी ही नहीं उनके परिवारों का भी जीवन बदल जाता है। इसी वजह से विवाहके संबंध में कई सावधानियां रखी जातीहैं। विवाह के बाद पति-पत्नी का जीवन कैसा होगा? यह विवाह किस माह में किया गयाहै इस बात पर भी निर्भर करता है। विवाह से पूर्व शुभ माह में ही विवाह करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र मेंविवाह संस्कार हेतु चार माह निर्धारित किए गए है। इन चार माह में विवाह करने पर विवाहित युगल का जीवन खुशियों भरा होता है। जिनमें विवाह करने का अलग-अलग फल माना गया है। किस माह में विवाह से कैसा फल?


धर्म शास्त्रों के अनुसार


माघे धनवती कन्या, फाल्गुने शुभगा भवेत,


वैशाखे तथा ज्येष्ठेपतिउत्यन्तवल्लभा।


मार्गशिर्ष मपिच्छती, अन्यये मासाश्च वर्जिता।।


अर्थात् जिस स्त्री का विवाह माघ मास मेंहोता है, वह धनवान होती है, फाल्गुन मेंविवाह होने पर वह सौभाग्यवती होती है।वैशाख तथा ज्येष्ठ में विवाह होने पर पति को प्यारी होती है। अकस्मात बहुत आवश्यक होने पर ही मार्गशिर्ष मास में भी विवाह कर सकते है।बाकी सभी माह विवाह हेतु वर्जित है।


इसके अलावा सूर्य जब गुरु की राशि धनु एवंमीन में होने पर, गुरु-शुक्र तारा अस्त होने पर, मलमास या अधिमास होने पर विवाह निषेध होता है।

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